कंई पति व्रता नारियों ने, किया करवा चौथ का व्रत, कंई ने आडंबर से किया किनारा

 




 


(चुन्नीलाल परमार)


बड़नगर / भारत को वैसे ही नहीं कहा जाता है, विभिन्नता में भी एकता । हां , यह बात दुजी हैं कि, राजनीति की रोटियां सेंकने वालों को ,धर्म मजहब के नाम पर फिरका परस्ती करने में ही मजा आता हैं। राजनीति की रोटियां सेंकने में , ईंधन बनते हैं भोले भाले लोग । बावजूद भारत में सभी धर्म / मजहब के अनुयायियों द्वारा अपनी मान्यताओं के अनुरूप अपने रिती रिवाजों का निर्वहन करते रहते हैं।


 



 


इसी कड़ी में, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को, व्रत उपवास के रूप में पतिव्रता नारी , संपूर्ण श्रृंगार कर । पति के स्वस्थ ओर दिर्घ जिवन की कामना करती हुई उपवास रखती हैं। शाम को चंद्र उदय होने पर, चंद्र दर्शन पश्चात, पति के हाथों से करवे से जल पी कर, पत्नी अपना वृत खोलती हैं। इस व्रत को त्योहार के रूप में, हिन्दू पतिव्रता माता बहने मनाती हैं , इस त्योहार को भारत वर्ष में भी दिनांक चार नवंबर को मनाया गया । तर्क शास्त्रियो ने ,इस व्रत के आडंबर से बनाई दुरियां - हिन्दू धर्म को मानने वाले कंई तर्क शास्त्रियों ने, करवा चौथ व्रत से दुरियां बनाने की खबरें भी प्राप्त हो रही है। भारतीय संस्कार ओर संस्कृति में,हर व्रत त्योहार, पुजा पाठ, पुरे परिवार की सुख शांति की कामना के लिए ही होते आए हैं , ना की व्यक्ति विशेष के लिए । बचपन में छोटे बच्चों को, उसकी मां चंद्रमा को,चंदा मामा कहकर बोलती/ बुलाती हैं ,,,,, भगवान, माता- पिता का श्रेष्ठ रूप ओर पवित्र भूमिका में हैं,। इस कारण तर्क शास्त्रियों ने इस व्रत से स्वंय के घर की महिलाओं को समझाइश देकर दुर रहने का सुझाव दिया था ,सो महिलाओं ने स्वेच्छा से इस व्रत के आडंबर से दुरियां बनाईं रखीं हालांकि आस्था की लो तो चमकती ही रही । इस कारण बदलाव देखने को अवश्य मिला है।


 फिर भी, करवा चौथ का व्रत कुछ अपवादों को छोड़कर सकुशल मनाया गया ।


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