रिश्वत कांड में टी, आई, अर्चना नागर एवं एस ,आई, जीवन भिडोरे सहीत तीन को किया पुलिस लाईन संबद्ध "मामला बड़नगर पुलिस थाने का"

 



 



(निलेश चुन्नीलाल परमार )


बड़नगर / पुलिस विभाग में देश भक्ति ओर जन सेवा के नारो ओर भाव भावनाओं को कैसे तार तार किया जा रहा है अनुभव प्राप्त व्यक्ती की आत्मा ग्लानी से भरकर मूंह को आ जाती हैं।


 


एसा संयोग वश हो तो बात दुजी हैं, किन्तु बिना भेंट पूजा किए पुलिस थानों में कभी काम होता हैं ,ऐसा संभवतः संयोग वश ही होता हैं।


पैसे के दंभ पर पुलिस निश्कलंक को कलंक लगाने में तनिक भी गुरेज नहीं करती हैं।


क़लम के कारीगरों (प्रजातंत्र के चौथे स्तम्भ) की क़लम पर भी पुलिस पैसों के दम पर कार्यवाही करने में गुरेज नहीं करती हैं। 


 


जबकि पुलिस महानिदेशक के निर्देश हैं कि पत्रकारों के विरुद्ध प्राप्त शिकायतों पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पुख्ता जांच पश्चात ही प्राप्त आवेदन पर कार्रवाई की जावे, क्यू की पत्रकार को समाज में फैली विधिविरुद्ध कार्यवाही को कवरेज करने के लिए जाना पड़ता है।, जिसके कारण कंई समाज के दुश्मनों की आंख की किर किरी बनें रहते हैं पत्रकार ।


 


किन्तु अर्थ में अंधी हुईं पुलिस सबको भूल जाती हैं।, वज़ह न्यायालय के लिए अच्छे ओर बुरे व्यक्ती की पटकथा पुलिस ही तैयार करती हैं अर्थात कानून के साथ *अच्छा बुरा व्यवहार रुपयों के दम पर करना पुलिस के हाथ में ही होता हैं।


 


बस इसी दम ओर अर्थ लोभ ने, बड़नगर टी,आई,अर्चना नागर एवं एस, आई ,जीवन भिडोरे को चपेट में ले लिया है।- मामले का मजमुन इस प्रकार हैं- ग्राम चिरोला कला तहसील बड़नगर निवासी ओम परमार पिता अशोक परमार ने अपना बोलेरो वाहन एम पी १३ सीए १०५९ रतलाम निवासी अंकित पिता राजेंद्र राठौड़ को तीन माह पूर्व बेचा था, अंकित से ओम् ने ३५००० हजार रूपए बतोर साई के लिए थे ,शेष राशि फाइनेंसर को शर्तानुसार अंकित को फाइनेंस कंपनी को किश्त देना थीं, जो अंकित नहीं दे रहा था, ना ही वाहन लोटा रहा था।


जिसकी शिकायत ओम् परमार ने बड़नगर पुलिस थाने में की थी, तदानुसार बड़नगर टी ,आई, अर्चना नागर एवं जीवन ढिंढोरे ने उक्त वाहन को बड़नगर थाने पर बुलवा लिया था।


फरियादी लगा रहा है आरोप वाहन ओम परमार की अभिरक्षा में सोपने की ऐवज में फरियादी ओम् से मांगे टी, आई, नागर ने ५०,००० हजार, ३५००० हजार में हुई पुलिस से सुलह ,१५००० हजार दे दिए थे टी,आई, नागर को, शेष २०,००० रूपए देने के लिए हो रहा था दबाव- बोलेरो वाहन फरियादी ओम् परमार के नाम पर ही था , शर्तानुसार द्वितिय पक्ष फाइनेंसर को किश्त भूगतान नहीं कर रहा था । बावजूद इसके टी,आई,नागर एवं एस, आई,जीवन भिढोरे फरियादी ओर वाहन मालिक ओम् परमार से, बतोर वाहन सोपने की ऐवज में रिश्वत के रूपए मांग रहा था।


संपूर्ण घटना की जानकारी फरियादीओम् परमार ने अपने मोबाइल फोन में सुरक्षित रखते हुए , मय प्रमाण के, उज्जैन जिला पुलिस अधीक्षक ओर विधायक मुरली मोरवाल को की शिकायत


एस पी उज्जैन ने मामले को तत्काल संज्ञान में लेते हुए टी, आई, अर्चना नागर एवं एस, आई, जीवन भिडोरे को किया पुलिस लाईन संबंध एवं ए ,एस,आई सत्येन्द्र चौधरी को कार्य व्यवस्था की दृष्टि से पुलिस लाइन में उपस्थित होने हेतु किया है आदेशित।


समंझने वाला पहलू-फरियादी पुलिस थाना भाटपचलाना अधिकार क्षेत्र का रहने वाला , प्रकरण बड़नगर पुलिस ने संज्ञान में कैसे ले लिया है ? बड़नगर पुलिस भ्रष्टाचार के दलदल में कैसे फंस गई है, बड़ा विचारणीय है फरियादी ओम् परमार पिता अशोक परमार निवासी चिरोला कला तहसील बड़नगर होकर इनका पुलिस थाना भाटपचलाना लगता है ,बावजूद इसके पुलिस थाना बड़नगर ने इस मामले को संज्ञान में कैसे ले लिया है ? विचारणीय है , निश्चित है अर्थ प्रलोभन के दल दल में बड़नगर टी ,आई, अर्चना नागर एवं एस, आई जीवन भिडोरे दायरे से आगे निकल कर, कानून के शिकंजे में फंस कर रह गए हैं।


जबकि उक्त प्रकरण की शिकायत भाटपचलाना पुलिस थाने में कि जाना थी ।


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