रतलाम जिलें के गांव में ,मेघों को मनाने का किया रुढी अनुसार तंतर-

 




(निलेष परमार )


रतलाम / कहावत हैं ना ,जरूरत पडने पर गधे को भी काका जी कहना ही पडता है । जी हाँ सबकुछ ऐसा ही करना पड रहा है मेघों की नाराजगी के कारण । रतलाम जिलें के गांव में परंपरा अनुसार अ वर्षा के कारण या मेघों के नहीं बरसने के कारण गांव पटेल को सहर्ष,गधे पर बैठाकर सार्वजनिक मार्ग पर जुलूस निकालने का प्रचलन रहा है, जिसे एक हर्सोल्लास की तरह मनाया जाता है । तद्नुसार आज दिनांक को भी मेघों को मनाने के लिए गांव दंतौडिया के वसूली पटेल ने परंपरा निर्वहन करने की हामी भरी । ओर फिर निकला जुलूस गांव पटेल शांतिलाल पिता बद्रीलाल का गधे पर बैठकर ।


 परंपरा निर्वहन में सोशल डिस्टेन्स के नियमों का पालन किया गया एवं सभी ने सेनेट्राइज होकर परंपरा का निर्वाह किया ।


सनद रहे इस परंपरा में किसी प्रकार की जोर जबरदस्ती नहीं होती हैं ना ही किसी की इच्छा के विरुद्ध एसा आयोजन होता है ।


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