नगर भ्रमण को ना जाइए,यमदूत फिरे चहुं ओर...देखत ही लपेट लै,करने ना दे कोई जोर... सौदागर जाट की कलम से

 



नगर भ्रमण को ना जाइए,यमदूत फिरे चहुं ओर...देखत ही लपेट लै,करने ना दे कोई जोर...



मारत, तोड़त दंड नितम्ब पर,उठक बैठक, कुकडू कू, बोलाय..जो चहुं मन उनको गलियान में घुमाए...चालाकी,चापलूसी,नेतागिरी को माने नहीं, 



देत फिराय लठ को, शठ समझ न पाए,,खाकी खाली खाकी नहीं,जो धरती रंग समाय।



जा में धीर गंभीर वीर बसत है,सब संत्रास मिटाए..
गाली सुन,मन भर लें,करे समय को मान..जो ही सु अवसर पायके,कर दे दंड विधान..
आन पड़ी है देश पर,खाकी जान बिछाय..जो तिरंगे की शान पर बली बली हो जाय...



ना हठ करें,ना प्रपंच करें,ना वर्दी को परेशान,सुनाए सुनाए ना वचन करें ताहि में सबन को सम्मान...
वर्दी पहन रखवारी करत भारत मां के पूत,,बेफिजूल काम करत ताहि के लिए हम बन जावे यमदूत...


सौदागर जाट पुलिस थाना इंगोरिया जिला उज्जैन की कलम से....


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