कोरोना को नहीं दे पा रहे हैं माद, किन्तु टिड्डी दल (पतंगो) को मारकर पोमा रहा है प्रशासन- दे रहे हैं सब ,प्रकृति को न छेड़ने की सलाह ,ओर यहाँ टिड्डी दल (पतंगो) को मारकर दे दिया है ढेर-
- प्रकृति पर अधिकार केवल मनुष्य का ही नहीं है
(चुन्नीलाल परमार )
- उज्जैन / बड़नगर / मनुष्य कितना निरीह हैं यह जानकर बडा आश्चर्य हुआ है, ना सुना ना देखा था राजस्थान से नीमच ,मंदसौर , प्रतापगढ़ में वह सब कुछ कर गुजरे उज्जैन जिलें के अधिकारी ।
- जी हाँ में बात कर रहा हूँ उज्जैन जिलें की घटिया तहसील क्षेत्र में आगंतु टिड्डी दल (पतंगो) पर ,कृषि विभाग द्वारा रसायन छिडक कर उनके प्राण हरण करने की ।
- क्या हमारे जेसी समंझदारी राजस्थान ओर मध्यप्रदेश के नीमच मंदसौर जिले के अधिकारियों के पास नहीं थी, जिन्होने इन पतंगो के प्राण हरण ना करते हुए, इन्हें भगाने का काम ही किया है ।
- भाई सारी समंझदारी तो उज्जैन जिलें के अधिकारीयों में ही भरी पढी थी,तब तो कोरोना सर पर मोत बनकर हंस रहा है ।
- हम भी तो इन टिड्डी पतंगो को मारने की बजाय भगाने का प्रयास कर ही सकते थें,!!! किन्तु हम एसा कर नहीं सकते हैं, सबका अपना अपना बजट होता है ओर अधिकार ।
- हम यह क्यूँ नहीं समंझने का प्रयास करते हैं की यह पतंगे ओर तितलियाँ ही हमारी प्रकृति को सौन्दर्यता प्रदान करती हैं यही प्रकृति का संतुलन बनाने में योगदान देती हैं !!।
- प्रकृति पर अधिकार केवल मनुष्य का ही नहीं है हर प्राणी का हैं , यह विचार हमें करना ही होगा, हम यह बात कोरोना की दशहत के बाद भी नहीं समंझ पा रहे हैं !!आखिर इन पतंगो से अभी कौन सी फसलों को इतना नुकसान होने का भय था जिसके कारण इन पतंगो को मारना आवश्यक था यदि नहीं मारते तो मनुष्य को भूखे मरने की नौबत आ जाती !!?
- एक तरफ तो कृषि विभाग कहता है नरवाई नहीं जलाये इससे कंई जीव जन्तु मारे जाते हैं ओर दूसरी तरफ लाखों की संख्या में टिड्डीयो को मोत के घाट उतार दिया गया है !!
- अभी भी वक्त हैं-
- जियो और जीने दो सिद्धांत का पालन करने का