मोर पंख से होता है हर ग्रह के दोषों का निवारण,पढ़ें ये कथा
भारत का राष्ट्रीय पक्षी मोर है वहीं मोर से जुड़ी कई सारी धार्मिक मान्यताएं भी हैं।
हिंदू धर्म में मोर के पंख का काफी ज्यादा महत्व भी है। सिर्फ यही नहीं बल्कि देवी-देवताओं और ग्रहों में भी मोर के पंख का बहुत महत्व होता है। तो आइए आज हम आपको मोर पंख से जुड़ी एक ऐसी ही कथा के बारे में बताने वाले हैं जो शायद ही आपको मालूम होगी।
हमारे धर्म ग्रंथों में मोर से संबंधित कथा भी होती है। कहा जाता है भगवान शिव ने मां पार्वती को पक्षी शास्त्र में वर्णित मोर के महत्व के बारे में बताया है। प्राचीन काल की बात है जब संध्या नाम का एक असुर हुआ था। वो बहुत ही शक्तिशाली और तपस्वी असुर बन गया वहीं गुरू शुकाचार्य की वजह से संध्या देवताओं का शत्रु बन गया था।
इस तरह होता है ग्रहदोष का निवारण
संध्या असुर ने कठोर तप करके शिवजी और ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया था। ब्रह्माजी और शिवजी प्रसन्न भी हो गए तब असुर ने कई शक्तियां वरदान के रूप में प्राप्त कर ली। शक्तियों की वजह से संध्या बहुत ही शक्तिशाली हो गया। अब शक्तिशाली संध्या भगवान विष्णु के भक्तों को परेशान करने लगा था। असुर ने स्वर्ग पर भी आधिपय कर लिया और देवताओं को बंदी भी बना लिया। जब किसी तरह से देवता संध्या को जीत नहीं पाए तब उन्होंने एक योजना बनाई।
शक्तिशाली है मोर पंख
सभी देवता और नौ ग्रह एक मोर के पंखों में विराजित हो गए है। अब वो मोर भी शक्तिशाली हो गया था। मोर ने विशाल रूप धारण कर लिया और संध्या असुर का वध कर दिया है।
तभी से मोर को भी पूजनीय और पवित्र माना जाने लगा है। मोर का पंख जीवन में होने वाले संकटो से मुक्ति दिलाता है साथ ही अगर विधिपूर्वक मोर पंख को स्थापित कर लिया जाए तो घर के वास्तु दोष से भी छुटकारा पाया जा सकता है।