गगन चूबंता धुआँ ओर आग उगलते खेत, हर कंई दिखाईं दे रहें हैं,कलेक्टर के सख्त निर्देश के बाद भी

 



 


कलेक्टर के सख्त निर्देश के बाद भी


उज्जैन l भारतीय  किसान को भारत का भाग्य विधाता कहा जायें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगा । नगरों महानगरों से लगाकर ग्रामीण अंचलों के  जीवन निर्वहन की सारी आवशक्ताओ की पूर्ति मनुष्य से लगाकर लगभग हर प्राणी की पूर्ति  किसान ही करता है ।साग सब्जी फल फूल दुध मांस मछली  अंडे घी पनीर छाछ मट्ठा या यूं कहें तो शराब से लगाकर औद्योगिक इकाइयों के कच्चे माल का उत्पादक किसान ही होता है ।
भारतीय किसान पर हमें गर्व भी हैं किन्तु इनकी संकीर्ण मानसिकता पर क्षोभ ओर दुख भी होता है, जैसे सिंचाई के लिए अच्छी भली सडको को खोदकर सिंचाई हेतु पाइपलाइन निकालना ओर पश्चात लोगों के गिरने के लिए सडकों को खुदी हुई छोड देना आम देखा जा सकता है, जिसपर न तो कभी शासन के नुमाइंदे कुछ बोलते हैं ना ही प्रशासनिक अधिकारी । किसानों की इन गैरजिम्मेदाराना कार्यों से आये दिन कंई लोग उपहती भोगते आ रहें हैं ।
नरवाई जलाने पर कलेक्टर ने दंडात्मक आदेश उद्घोषित किये हुए हैं वहीं कृषि विभाग भी नरवाई नहीं जलाने के सुझाव किसानों को देते आ रहे हैं, बावजूद इसके इस समय आसानी से किसानों के खेतों से गगन चूबंता धुआँ ओर आग उगलते खेत आसानी से दिखाई दिये जा रहें हैं ।


 


इसका प्रमाण हर कंई कालिख समेटते खेत , मुरझाये मेड पर खडे आसानी से दिखाई दियें जा रहें हैं ।


चुन्नीलाल परमार लेखक


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