covid-19 से कैसे जीत सकता है हिन्दुस्तान, जब चिकित्सालय के हो यह हाल
उज्जैन / चहुँ ओर हो रहा हे हा हा कार एसी पढ रही है ,कोरोना महामारी की मार, ढोल कुटे जा रहें हैं जुबानी ढंको से ,एहतियात के तौर पर सारी चिकित्सकीय व्यवस्था कर दी हैं सरकार ने सभी चिकित्सालयों में, नगाड़े बजाकर सरकार जनता से धन बटोर रही है covid-19 महामारी से देश की जनता को बचाने के लिए,यह कर्तव्य सरकार का होता ही हैं, की वह अपने देश प्रदेश के नागरिकों की जान माल की हिफाज़त करे ही सही ।
आश्चर्य हो रहा है सरकार ओर सरकारी तंत्र के आलम ओर निष्क्रिय इंतजामों की परत खुलकर जब जर्जर ओर लचीली व्यवस्था पारदर्शी होती हैं, वह भी सरकार की नाकाम व्यवस्था से अ सहाय व्यक्ति की जान लीलकर वह भी ऐसे अ सहाय, जो पूर्णतः सबके लिए ला इलाज संक्रामक रुग्णता से ग्रसित हो!?
कंई विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से ग्यात हुआ है संभागीय स्तर के चिकित्सालय उज्जैन में चिकित्सालय के प्रभारी चिकित्सकों के प्रभार वापस लियें हैं, वह भी महज इस के लिए की चिकित्सा की व्यवस्था बेहतरीन इंतजामात नहीं होने के कारण ।
अब प्रश्न यह खडे होते हैं की इन दोनों चिकित्सकों के प्रभार वापस लेकर इनके मातहत अधिकारी कलेक्टर के कोप से स्वयं सुरक्षित कवच बना रहे हैं या कोई ओर वजह है!?
संभव ही नहीं की माधव नगर चिकित्सालय में उपलब्ध 12 वेंटिलेटर में से महज दो ही चालु हो ओर 10 बंद
वेंटिलेटर ही चालू नहीं मिले। ऐसे में मरीज की मौत हुई क्योंकि कोरोना संदिग्ध मरीज के इलाज के लिए अधिकृत किये गए दूसरे अस्पताल आर डी गार्डी में आईसीयू वार्ड में ताला लगा मिला और मरीज ने दम तोड़ दिया
इसकी जानकारी प्रभारी चिकित्सालय प्रभारी ने वरिष्ठालयो को नहीं दी होगी!!यदि जानकारी वरिष्ठालयो ओर शासन को दी थी तो फिर covid-19 के उपचार के लिए उज्जैन जिलें के लिए एक चिन्हित चिकित्सालय में शासन/प्रशासन ने माकूल व्यवस्था क्यों नहीं की!! क्या इसके लिए
डाक्टर मरमट ही दोषी हैं कितनी बडी पोल हैं ओर कितनी बडी लापरवाही हैं
ओर कितना बडा खिलवाड़ किया जा रहा है नागरिकों के जीवन से! सुन जानकर रूह कांप जाती हैं, क्यूँ की कोरोना से प्रभावित मरीज के साथ उसके स्वजन ओर परिवार जन तो साथ रहते नहीं है चिकित्सक ओर चिकित्सालय के बद इंतजामों के कारण बेचारे रुग्ण व्यक्ति के प्राणों को कोरोना आसानी से लील जाता है ।
अब प्रश्न बडा यह हैं की, जब संभागीय स्तर उज्जैन के चिकित्सालय के बद इंतजामों के यह आलम है,
तो तहसील स्तर ओर कस्बा स्तर के चिकित्सालयोंके हालात क्या होंगे!!क्या आइसोलेशन बनाने से ही किसी कोरोना ग्रसित व्यक्ति के प्राण बचाये जा सकते हैं!! जब आवश्यक संसाधन ओर जांच के लिए रुग्णता परिक्षण शाला न हो!?
आखिर शासन प्रशासन इस महामारी के भयावह प्रभाव का ढिढोरा इतना पीट रही है तो माकूल चिकित्सकीय व्यवस्था क्यूँ नहीं कर पा रही है,क्यूँ जिला स्तर पर इस रुग्णता के लक्षण जांच के लिए परिक्षण शाला कायम नहीं कर पा रही है!? हम जानते ही हैं की इटली विश्व मे चिकित्सा क्षेत्र में द्वितीय स्थान रखती हैं, इतनें सुदृढ़ इंतजामों के बावजूद, अपने नागरिकों को कोरोना के खुनी पंजो से नहीं बचा पा रही है, वहीं अमेरिका में भी यह तांडव मचा रहा है कोरोना का राक्षस, ओर हमारे यहाँ भी धीरे धीरे इसका साम्राज्य फेला रहा है , यदि एसी ला परवाही रही तो सरकार द्वारा जनता से बटोरा गया धन किस काम आयेगा जो covid-19 संहयोग के नाम पर लिया गया है!!?
शासन को चाहिए, की वह तत्काल इन कमियों को दूर करें ओर देश के नागरिकों को कोरोना के खुनी पंजो से बचाये ।
यह समस्या चिकित्सको के प्रभार वापस लेने से या किसी ओर को प्रभार देने से हल नहीं होगी, आवश्यक व्यवस्था ओर संसाधनों की उपलब्धता तो सब करवाना ही पडेगा ।
यह मामला कलेक्टर के संग्यान में आया है तो निश्चित हैं समस्त चिकित्सालयों की व्यवस्था सुदृढ़ हो ही जायेगा,यह तय हैं । ओर बद इंतजामों के लिए कोन जवाबदेही था उस पर भी सख्त कार्यवाही संभव है,
प्रश्न बडा है कोरोना नामक संक्रामक महामारी से बचने बचाने की व्यवस्था में
आखिर चूक कैसे ओर किसने की है!!उन्हें दंडित करने से अच्छा होगा उन जवाबदेह अधिकारीयों/चिकित्सकों से अच्छा काम लिया जावे ।
आओ हम सब human/social distance रखते हुए, निर्देशित उपायों ओर संसाधनों का प्रयोग करें, कोरोना को देश से बाहर भगाये ।
लेखक चुन्नीलाल परमार