प्रमुख सचिव खाद्य ने कृषक पंजीयन, रकबा, गेहूं उपार्जन केन्द्रों, परिवहन एवं भण्डारण की स्थिति की समीक्षा की


वीरेंद्र ठाकुर


उज्जैन । खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने शुक्रवार को संभागीय रबी उपार्जन की तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने जिलेवार कृषक पंजीयन, गेहूं, दलहन एवं तिलहन का रकबा, गेहूं उपार्जन की स्थिति एवं स्थापित गेहूं उपार्जन केन्द्रों में मूलभूत सुविधाओं की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने परिवहन एवं भण्डारण की स्थिति की भी समीक्षा की। प्रमुख सचिव ने कहा कि


 उज्जैन संभाग के सभी जिलों में विगत वर्ष 2019-20 की तुलना में वर्ष 2020-21 में गेहूं का रकबा बढ़ा है।


उज्जैन में चार लाख हेक्टेयर, रतलाम में दो लाख 28 हजार हेक्टेयर, मंदसौर में दो लाख 38 हजार हेक्टेयर, नीमच में एक लाख हेक्टेयर, देवास में तीन लाख हेक्टेयर, शाजापुर में दो लाख हेक्टेयर एवं आगर-मालवा में एक लाख 27 हजार हेक्टेयर में गेहूं का रकबा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। इसी को मद्देनजर रखते हुए उपार्जन केन्द्रों की संख्या भी इस वर्ष बढ़ाई गई है।


संभाग में कुल 411 उपार्जन केन्द्र प्रस्तावित किये गये हैं


साथ ही 225 गोदाम स्तरीय केन्द्रों की संख्या प्रस्तावित की गई है। आवश्यकता पड़ने पर साइलो में गेहूं भण्डारण किया जायेगा।प्रमुख सचिव को संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर्स ने अवगत कराया कि बारदानों की पर्याप्त संख्या है। आवश्यकता पड़ने पर बारदानों की गठान मंगाई जायेगी। बताया गया कि संभाग में 14 लाख 57 हजार 500 मैट्रिक टन का रबी फसल उपार्जन अनुमानित है। प्रबंध संचालक एमपी एससीएससी अभिजीत अग्रवाल ने बताया कि इस वर्ष सर्वेयर हेतु गुणवत्ता नियंत्रण एप बनाये गये हैं। यह एप दो स्तर पर कार्यरत रहेगा। एप उपार्जन केन्द्र एवं गोदाम स्तर पर कार्यरत रहेगा। उपार्जन केन्द्र सर्वेयर एप उपार्जन समिति स्तर पर कार्यरत सर्वेयर द्वारा स्थल पर परीक्षण के उपरान्त स्वीकृत एवं अस्वीकृत प्रविष्टि मोबाइल एप पर की जायेगी। यदि किसी कारणवश उपज अमानक होती है तो दोबारा निर्धारित अवधि के बाद ही स्वीकार योग्य रहेगी। गोदाम स्तर पर भी उपज की स्वीकृति हेतु मोबाइल एप का उपयोग किया जायेगा। उपार्जन केन्द्रों पर उपार्जन संस्था द्वारा गुणवत्ता जांच हेतु प्रशिक्षित सर्वेयर को नामित किया जायेगा। अमानक किये गये स्कंध का सेम्पल भी सुरक्षित रखा जायेगा। किसान की ट्रेक्टर ट्राली उपार्जन केन्द्र पर आती है तो सेम्पलिंग कराई जायेगी।



उपार्जन केन्द्र स्थल का निर्धारण


कलेक्टर के अनुमोदन से किया जायेगा। उपार्जन केन्द्र पर भौतिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जायेंगी। इसके तहत हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्शन एवं निर्बाध विद्युत आपूर्ति तथा जनरेटर की सुविधा शामिल रहेगी। कम्प्यूटर, प्रिंटर, डोंगल, स्केनर, लैपटॉप, बैटरी, दरियां, टेबल, कुर्सी,


किसानों के लिये पेयजल, शौचालय, छाया, बिजली की व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी


एफएक्यू सेम्पल का मापदण्ड भी निर्धारित किया जायेगा। उपार्जन केन्द्र पर निर्धारित संख्या में कैलिब्रेटेड इलेक्ट्रॉनिक तौलकांटे, धर्मकांटा, प्लास्टिक की सेम्पल थैलियां, चपड़ा, मोमबत्ती, माचिस की व्यवस्था रहेगी। प्रमुख सचिव ने बताया कि किसानों के बैंक खातों का एनपीसीएल द्वारा सत्यापन किया जायेगा। किसान को स्वीकृति पत्रक के आधार पर भुगतान किया जायेगा।


उपार्जन के दौरान


जिला कलेक्टर स्तर पर महत्वपूर्ण कार्यवाहियां की जायेगी, जिसके अन्तर्गत उपार्जित स्कंध की गुणवत्ता की समीक्षा एवं उपार्जित की गई मात्रा का परिवहन एवं परिवहन में आने वाली कमी की समीक्षा की जायेगी। इसके साथ ही परिवहन की गई मात्रा के स्वीकृति पत्रक, डब्ल्यूएचआर की सप्ताह में दो बार गोदामवार समीक्षा की जायेगी। किसानों एवं उपार्जन केन्द्रों तथा अन्य सम्बन्धित संस्थाओं के भुगतान की साप्ताहिक रूप से समीक्षा कलेक्टर द्वारा की जायेगी। साथ ही उपार्जन कार्य हेतु पर्यवेक्षण हेतु उड़नदस्ता का गठन किया जायेगा। कलेक्टर लगातार किसानों के भुगतान की, परिवहन की, सुरक्षित भण्डारण की, परिवहनकर्ताओं के देयकों की समीक्षा करेंगे।


बैठक में उपस्थित


उज्जैैन संभाग कमिश्नर आनन्द कुमार शर्मा, संचालक खाद्य अविनाश लवानिया, प्रबंध संचालक एमपीएससीएससी अभिजीत अग्रवाल, प्रबंध संचालक मारफेड श्रीमन शुक्ला, कलेक्टर उज्जैन शशांक मिश्र, कलेक्टर रतलाम श्रीमती रूचिका चौहान, कलेक्टर देवास श्रीकान्त पाण्डेय, कलेक्टर मंदसौर मनोज पुष्प, कलेक्टर शाजापुर वीएस रावत, संयुक्त संचालक खाद्य एचएस परमार एवं हरेन्द्रसिंह सहित मारफेड, खाद्य, जिला विपणन बोर्ड के अधिकारी सहित सम्बन्धित अधिकारीगण मौजूद थे।


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