जन-सामान्य के हित एवं कोरोना वायरस के संक्रमण से जान-माल को सुरक्षित रखने हेतु प्रतिबंधात्मक आदेश जारी
(संदीप ठाकुर की रिपोर्ट)
उज्जैन । उज्जैन शहर में श्री महाकालेश्वर मन्दिर में आयेदिन श्रद्धालुओं का आवागमन प्रतिदिन होता रहता है। उज्जैन जिले की आम जनता की सुविधा, सुरक्षा तथा कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी डॉ.आरपी तिवारी ने दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा-144(2) के अन्तर्गत जन-सामान्य के हित एवं कोरोना वायरस के संक्रमण से जान-माल को सुरक्षित रखने हेतु भारत सरकार एवं मध्य प्रदेश शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी एडवायजरी के अनुसरण में प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है।
जारी आदेश के अन्तर्गत उज्जैन जिले की सम्पूर्ण राजस्व सीमा क्षेत्र में सभी प्रकार के इनडोर, आऊटडोर सामूहिक आयोजन, जुलूस, गेर, सम्मेलन, सामूहिक भोज आदि जिनमें काफी संख्या में लोग शामिल होते हैं, ऐसे समस्त आयोजन प्रतिबंधित किये हैं। जिले में बिना अनुमति के समस्त सभा, धरना, प्रदर्शन, जुलूस, रैली पर प्रतिबंधित किया है। सोमवार 16 मार्च को शीतला सप्तमी, 25 मार्च को गुड़ी पड़वा एवं चैत्र नवरात्रि, 2 अप्रैल को रामनवमी व आगामी अन्य त्यौहारों के अवसर पर जुलूस, चल समारोह जिनमें अधिक संख्या में आमजन एकत्रित होते हैं, वर्तमान परिस्थितियों में कोरोना वायरस से बचाव हेतु सभी आयोजन प्रतिबंधित रहेंगे। जारी की गई समस्त अनुमतियां लोक स्वास्थ्य एवं आमजन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दी गई है। विशेष परिस्थिति में अनुमति के लिये जिले के समस्त अनुविभागीय दण्डाधिकारी अपने-अपने क्षेत्राधिकार के अन्तर्गत आवश्यकता होने पर विशेष परिस्थितियों में आयोजन की अनुमति देने हेतु सक्षम प्राधिकारी होंगे। अनुमति में कोरोना वायरस से बचाव हेतु मास्क, हाथ धुलाया जाना, सेनिटाइजर का उपयोग करने की शर्त लगाया जाना अनिवार्य होगा। इसकी पूर्व सूचना जिला दण्डाधिकारी को प्रदान करना आवश्यक होगी।
इसी प्रकार भारत सरकार एवं मध्य प्रदेश शासन के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कोरोना वायरस के संक्रमण के सम्बन्ध में जारी एडवायजरी के अनुसरण में भारत से बाहर से आने वाले नागरिकों को जिला चिकित्सालय द्वारा संचालित कोरोना आइसोलेशन सेन्टर में जांच उपरान्त ही जिले में प्रवेश की अनुमति प्रदाय की जायेगी। यह आदेश जन-सामान्य से सम्बन्धित है। परिस्थितिवश इतना समय उपलब्ध नहीं है कि सम्बन्धित जन-सामान्य व्यक्ति या समूह को इस सम्बन्ध में सूचना दी जा सके। यह आदेश दण्ड प्रक्रिया संहित-1973 की धारा-144(1) के अन्तर्गत एकपक्षीय पारित किया है। कोई भी व्यक्ति इस सम्बन्ध में अपनी आपत्ति/आवेदन अधिनियम की धारा के अन्तर्गत प्रस्तुत कर सकता है। आदेश का उल्लंघन भारतीय दण्ड संहिता की धारा-188 के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध होगा। यह आदेश 13 मार्च से जारी होने की तिथि से आगामी दो माह तक प्रभावशील रहेगा।